"52 तांस पत्तों के साथ जंगल में मन रहा मंगल" हर रोज लाखों के लग रहे दांव
उमरिया / चंदिया। मध्यप्रदेश के उमरिया जिला के अधीन एक ऐसा पुलिस थाना है उस थाने में पदस्थ थाना प्रभारी और मौजूदा स्टाफ के कारगुजारियों की कसमें खाई जाती हैं। जी हां आपको बतादे की उमरिया जिला अंतर्गत चंदिया थाना इन दिनों कई तरह के कारनामों के चलते सुर्खियों में बना हुआ है।
जुटाई गई जानकारी और सूत्रों के हवाले से मिलने वाली खबर पर भरोसा करें तो चंदिया थाने से महज कुछ ही दूरी में सलैया के जंगल में मंगल मनाया जा रहा है। आपको बताते चले कि चंदिया हाइवे से महज दो किलोमीटर की दूरी में बने जंगल को जुआड़ियों ने 52 पत्तों से गैरकानूनी तरीके से खेले जाने वाला हार जीत के खेल में दांव लगाने का सबसे महफूज और सुरक्षित अड्डा बना लिया है। सुरक्षित हो भी ना कैसे "जब सैंया भये कोतवाल तो फिर डर काहे का" भाई जब थाना कोतवाल का जुआरियों को पूर्ण रुप से आशीर्वाद और अभयदान मिल चुका है तो भला अब किसकी मजाल जो जंगल में मनाने वाले मंगल कार्य में बाधा पहुंचाने की हिमाकत कर सके।
खैर आगे बताते चलें कि सलैया के जंगल में लंबे अरसे से लाखों का जुआ फड़ संचालित हो रहा है। सूत्रों पर भरोसा करें तो इस जुआ फड़ को संचालित करने का काम कटनी के जाने माने पुराने जुआ फड़ चलाने और नाल काटने वाले गोविंद नामक जुआड़ी का नाम सुर्खियों में बना हुआ है। सूत्र बताते हैं कि कटनी के गोविंद के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जुआ फड़ को चार चांद लगाने में अहम भूमिका निभाने वाले पिंटू, सुनील, टिल्लू भाई का नाम भी उछाल मार रहा है। बताते हैं कि गोविंद के अलावा पिंटू, सुनील, टिल्लू भाई एवं अन्य लोग जुआ खेलने वाले जुआड़ियों को चंदिया के अलावा कटनी, पनागर, जबलपुर, उमरिया एवं अन्य जगह से दूर दराज के जुआ प्रेमियों को इस खेल में पूरी सुरक्षा व्यवस्था की गारंटी वारंटी के साथ दांव लगाने के लिए आमंत्रित करते हैं।
सबसे मजेदार बात ये है कि जंगल में होने वाले 52 तांस पत्तों पर हार जीत का खेल खेलने और खिलाने वालों की जानकारी मीडिया से लेकर आम नागरिक तक है लेकिन इस गेम की भनक चंदिया थाने की पुलिस को ना हो ये कायमचूर्ण खाने के बाद भी हजम कर पाना संभव प्रतीत नहीं होता। इसलिए चंदिया थाने की पुलिस को कई तरह के सवालों के कटघरे में खड़ा करना लाजमी है। अब देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा कि उमरिया जिले के पुलिस कप्तान इस गैरकानूनी तरीके से जंगल में मंगल मनाने वाले जुआड़ियों और लाखों का फड़ संचालन करने वालों पर कब तक कानून का शिकंजा कस पाते है या फिर आंख मूंद कर चंदिया थाने का बिल्ला यूं ही दूध पीता और पिलाता रहेगा।
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