कटनी। कोतवाली थाना प्रभारी अजय बहादुर सिंह को सेवामुक्त होने में आज से मात्र 26 दिन शेष बचे हैं। लेकिन इन बचे दिनों में शहर की फिजा में और कितना अपराध रूपी जहर घुलने वाला है, इस बात का अंदाजा बीते कुछ माह से अमूमन लगाया जा सकता। जबलपुर से वापस कोतवाली की कमान संभालने वाले शायद ये पहले थाना प्रभारी होंगे जिनके कार्यकाल में सबसे ज्यादा अपराध का ग्राफ सर चढ़कर बोला है।
आपको बता दें कि व्यापारी से रंगदारी वसूलना, जान से मारने की धमकी, लूट, चोरी, अवैध शराब, जुआ, सट्टा, धोखाधड़ी, हत्या, हत्या करने का प्रयास, चाकूबाजी, जितने भी अपराध अपराधी कर सकता था या कर सकता हैं सब कुछ हुआ और हो रहा है। कुछ नहीं हुआ तो वो है क्राईम में कमी, बावजूद आलाधिकारियों ने ऐसे थानेदार पर कार्रवाई करने के वजाय संरक्षण दिए हुए हैं.? नतीजा शहर की शांति भंग हो चुकी और संभ्रांत लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं।
सबसे मजेदार बात ये है कि कोतवाली क्षेत्र में अपराध का स्तर सातवें आसमान में पहुंच कर तांडव मचा रहा है। फिर भी बीते स्वतंत्रता दिवस पर जिला के पुलिस कप्तान ऐसे थानेदार को बकायदा सम्मान से नवाजते हुए नजर आए। कटनी में पुलिस विभाग के लिए अब आलम ये हो गया है कि अच्छे काम के लिए भले ही सम्मान न मिले लेकिन अपराध बढ़े क्षेत्र की पुलिस का बकायदा प्रमाण पत्र देकर हौसला अफजाई जरूर किया जाता है जैसा की कोतवाली प्रभारी अजय बहादुर सिंह का पुलिस अधीक्षक अभिनव विश्वकर्मा के द्वारा किया गया।
एक बात तो साफ है कि जब से कटनी जिले की बागडोर पुलिस अधीक्षक अभिनव विश्वकर्मा ने संभाला है उनकी कृपा दृष्टि किसी और पर हो या ना हो पर नगर कोतवाल पर बिन मौसम बारिश की तरह लगातार बरस ही रही है। जिसका जीता जागता ताजा उदाहरण कोतवाली अंतर्गत बस स्टैंड पुलिस चौकी स्थित जुआ फड़ के रूप में देखने को मिला। जुआ फड़ मामले में पुलिस अधीक्षक अभिनव विश्वकर्मा ने कोतवाल को बचाते हुए जिम्मेदारी का सारा ठीकरा चौकी प्रभारी पर फोड़ते हुए चौकी से हटा दिया गया। लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि इस अवैध जुआ फड़ के मामले में क्या कोतवाली की कोई जवाबदेही नहीं बनती.? यदि बनती है तो पुलिस अधीक्षक ने कार्रवाई का हंटर निष्पक्ष रूप से क्यों नहीं चलाया.? क्या जुआ फड़ चौकी प्रभारी की सहमति से संचालित हो रहा था.? क्या इसमें कोतवाली के कोतवाल की किसी भी तरह की संलिप्तता नहीं थी.? आखिर पुलिस अधीक्षक कोतवाल पर इतनी कृपा की बारिश क्यों कर रहे हैं.?
अब एक और दूसरा मामला कोतवाली और खिरहनी चौकी से जुड़ा हुआ था। यहां पर भी कोतवाली प्रभारी को पुलिस अधीक्षक ने साफ - साफ बचाते हुए इनायत करम कर दिखाया। गौरतलब है कि नवरात्रि पर्व में गर्ग चौराहा स्थित लायसेंसी शराब दुकान की शटर नियत समय से तो बंद कर दी गई थी। लेकिन पुलिस की आंख में मोतियाबिंद का चश्मा पहना शटर के नीचे से अवैधानिक रूप से पुलिस की मौजूदगी में शराब बेची जा रही थी। सबसे मजेदार बात ये है कि जिस समय गर्ग चौराहा शराब दुकान से शराब बेचने का कारोबार चल रहा था। उस समय पुलिस अधीक्षक अभिनव विश्वकर्मा अपने लाव लश्कर के साथ शहर का निरीक्षण कर रहे थे। इतना ही नहीं निरीक्षण के दौरान ही शराब दुकानदार बिना किसी डर भय के दिखावे के तौर पर रात करीब एक बजे दूकान की शटर बंद कर शटर में बनाए गुप्त रास्ते से शराब बेचने का गोरखधंधा पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में कर रहा था। हालांकि ये कोई एक दिन का काम नहीं है जहां नियत समय से शराब दुकान बंद होने के बावजूद गुप्त रास्ते से शराब न बेची जाती हो।
सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर सेल्समैन को अवैध तरीके से शराब बेचने का हौसला किसने दिया.? जबकि जिस समय गर्ग चौराहा शराब दुकान में गुप्त रास्ते से शराब बेची जा रही थी उस दौरान पुलिस अधीक्षक अपने दलबल के साथ मौजूद थे। फिर भी दुकानदार शराब बेचे जा रहा था। अब खुद ही समझ सकते हैं कि जब पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में अवैध खेल खेला जा सकता है, तो भला बाकी दिनों का क्या आलम रहता होगा।
अब बात यहां पर भी वही आती है कि आखिर इस अवैध कारोबार को करने का बल बिना स्थानीय पुलिस के सहयोग से तो हो ही नहीं सकता.? गर्ग चौराहा शराब दुकान में गुप्त रास्ते से शराब बेचने के मामले में कोतवाली पुलिस ने अपने साथ - साथ अपने कप्तान की भी भद्द पिटवा कर रख दी। बावजूद पुलिस अधीक्षक संबंधित थाना प्रभारी को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़े। जब वीडियो वायरल हो गया तो कोतवाल ने भी अपनी इमेज चमकाने के चक्कर में संचालक और सेल्समैन पर कार्रवाई का ठीकरा फोड़ते हुए मामला दर्ज कर अपने पुलिस कप्तान को लुभाने का काम कर हीरो बनने का भरपूर प्रयास कर सफल हो गए। और पुलिस अधीक्षक अभिनव विश्वकर्मा भी गदगद होते हुए एक बार फिर सम्मान पूर्वक सेवामुक्त होने तक कोतवाल को अपने आशीर्वाद का सुरक्षा कवच पहना दिया।
पुलिस अधीक्षक की इस तरह की कार्रवाई से ऐसा समझ आता है कि इनकी नजर में हत्या, चाकूबाजी से लेकर अन्य बड़े अपराध में जुआ फड़ और अवैध शराब ज्यादा बड़ा अपराध है। जबकि कोतवाली क्षेत्र में कोतवाल अजय बहादुर सिंह के रहते एक ही रात में तीन हत्या, खुलेआम चाकूबाजी, चोरी, लूट जैसे अपराध घटित हुए। बावजूद पुलिस अधीक्षक कोतवाल पर कार्रवाई करने की बजाय शहर में गिरते शांति ग्राफ को अनदेखा कर थाना प्रभारी को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। क्या पुलिस अधीक्षक की नजर में अवैध शराब और जुआ फड़ जैसे अपराध बाकी अपराध से कहीं बड़ा अपराध है, जिसे अनदेखा करते हुए कोतवाल की जिम्मेदारी को दरकिनार कर सारा ठीकरा बस स्टैंड चौकी प्रभारी पर फोड़ते हुए लाइन हाजिर का फरमान जारी कर बड़े दोषी को बचा कर मामले की खाना पूर्ति कर दी गई।
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रवि कुमार गुप्ता : संपादक ( जन आवाज ) |