क्या होगा जब यूनिवर्सिटी से निकले लोग रिक्शा चलायेंगे और जेल से निकले लोग देश
खरी-अखरी (सवाल उठाते हैं पालकी नहीं)
_देश की आधी आबादी इतना सब कुछ होने के बाद भी महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना प्रतिनिधि मानकर आशा भरी नजरों से देखती है कि वे हमारी आवाज बनेगीं। वैसे तो महामहिम शतप्रतिशत आबादी की आवाज हैं। न सही सौ फीसदी के लिए पचास फीसदी के लिए ही सही आप उनकी आवाज बने ऐसी अपेक्षा है आपसे महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू_
बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले* _पर भरोसा करती होती तो श्रीमती द्रौपदी मुर्मू देशवासियों को यकीन दिला सकती थी कि वे पूरे भारत की राष्ट्रपति हैं न कि भारतीय जनता पार्टी की_।
ओडिशा महामहिम राष्ट्रपति का गृह राज्य है। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से खबर आती है कि वहां के भरतपुर थाने में सेना से रिटायर्ड ब्रिगेडियर की बेटी और सेना में कैप्टन की मंगेतर के साथ मारपीट और यौन उत्पीड़न इसलिए किया गया कि जब वह अपने और अपने मंगेतर के साथ कुछ युवकों द्वारा की गई छेड़खानी की रिपोर्ट लिखाने थाने गई तो पुलिस ने पीड़िता की रिपोर्ट लिखने के बजाय उसके मंगेतर कैप्टन को ही लाॅकअप में बंद कर दिया और उस लड़की ने पुलिसिया कार्रवाई का यह कहते हुए विरोध कर दिया कि आप सेना के अधिकारी को लाॅकअप में बंद नहीं कर सकते।
पीड़िता के कथनों पर विश्वास किया जाय तो उसका कहना है कि 15 सितम्बर 2024 की रात को वह जब वह अपने मंगेतर (जो कि पश्चिम बंगाल में सैन्य अफसर है) के साथ थी तब रास्ते में कुछ मनचले युवकों ने छेड़छाड़ की तो वे शिकायत करने और मदद मांगने के लिए थाना भरतपुर गये। पुलिस ने शिकायत तो लिखी नहीं "उल्टा चोर कोतवाल को डांटे" की तर्ज पर उसके मंगेतर को ही लाॅकअप में बंद कर दिया जिस पर उसने विरोध किया तो कुछ महिला पुलिस कर्मियों ने मेरे साथ बदसलूकी करना शुरू कर दी। महिला पुलिस कर्मियों ने मेरे हाथ पैर बांध कर मारपीट की इतना ही नहीं उन्होंने मेरे कपड़े फाड़कर अंडरगार्मेंट तक उतार कर लगभग - लगभग नग्नावस्था में खड़ा कर दिया। मानवीय संवेदनाओं की हदें तो तब सीमायें लांघ गई जब इंस्पेक्टर - इन-चार्ज (पुरुष) खुद अपनी पेंट उतार कर अर्ध नग्नावस्था में मेरे सामने खड़ा होकर मेरा यौन उत्पीड़न करने लगा।
हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद पीड़िता को इलाज के लिए एम्स में भर्ती किया गया है। खबर है कि मेडिकल जांच में पीड़िता के साथ किये गये यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई है। ऐसी ही एक खबर एयर फोर्स ने आ रही है जहां एक महिला अफसर का तो खुद विंंग कमांडर ने यौन उत्पीड़न किया है। शर्मनाक तो यह है कि विंग कमांडर को गिरफ्तारी के पहले ही जमानत मिल गई। यहां यह उल्लेखनीय है कि महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्राध्यक्ष होने के साथ ही भारत की सेनाध्यक्ष भी हैं। तब सवाल उठाया जाना लाजिमी है कि जब सेना और उनके परिवार की महिलाएं ही सुरक्षित नहीं हैं तो आम महिलाओं की स्थिति तो गई गुजरी होनी ही है।
कुछ दिन पहले महामहिम राष्ट्रपति उस मध्यप्रदेश के दौरे पर गई थीं जहां चंद दिनों पहले एक मासूम बच्ची के साथ बलात्कार किया गया था। इसी साल 7 महीने पहले अयोध्या में जिस राम मंदिर का भव्य लोकार्पण किया गया था उसी राम मंदिर में साफ-सफाई का काम करने वाली दलित लड़की के साथ तीन चौथाई (9) लोगों ने 16 से 25 अगस्त 2024 के बीच तीन अलग - अलग मौके पर सामूहिक बलात्कार किया। बिहार के नवादा में महादलितों की बस्ती में गुंडो द्वारा लगभग आधा सैकड़ा राउंड फायरिंग कर आग लगा दी गई जिसमें तकरीबन 80 घर जलकर राख हो गये।
चलिए माना कि आपको अपने राष्ट्रपति बनने के बाद घटित घटना मणिपुर में कुकी - जोभी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनका जुलूस निकालने और उनका यौन दुराचार करने पर न तो दुख हुआ नही ही गुस्सा आया न ही आप स्तब्ध हुईं न ही भयभीत हुईं। ऐसे ही आपके माथे पर शिकन भी तब नहीं आई जब दिल्ली के जंतर-मंतर पर महिला पहलवानों को पुलिस सड़कों पर तब घसीट कर दरिंदों की तरह प्रताड़ित कर रही थी जब वे भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती एसोसिएशन के अध्यक्ष को अपने साथ किये उत्पीड़न मामले में जांच और सजा दिलाये जाने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रही थीं। आप भयभीत तब भी नहीं हुईं जब बिलकिस बानों के बलात्कारियों को समय से पहले रिहा कर दिया गया और उनका भव्य स्वागत कर महिमामंडन किया गया। आप दुखी, गुस्सा, स्तब्ध, भयभीत तभी हुईं जब पश्चिम बंगाल के एक मेडिकल कॉलेज की महिला डाक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना घटित हुई। लगता है कि ये सब अब फिर से नेपथ्य में हवा हो गये हैं क्योंकि ओडिशा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में घटित घटना पर आपकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। तो क्या यह मान लिया जाए कि आपकी नजरों में देश के उन हिस्सों में घटित घटनाओं का कोई मूल्य नहीं है जो भाजपा शासित राज्यों में घटित हो रही हैं। आपकी इस सोच पर मोहर ये घटित घटनायें लगा रही हैं जो हाल ही में ओडिशा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार में घटित हुई हैं। जिन पर आपके मुखारबिंद से एक शब्द भी नहीं निकला क्योंकि इन प्रदेशों में भाजपाई सरकारें हैं।
कहीं आपको इस बात का भय तो नहीं है कि जिस मोदी और उनकी भाजपाई सरकारों के खिलाफ बोलने वालों को अर्बन नक्सल, माओवादी कहा जाता है वैसा ही आपको मोदी की भाजपाई सरकारों की निंदा करने पर अर्बन नक्सल, माओवादी न कहा जाने लगे ! कहीं आप उस अहसान का बदला तो नहीं चुका रहीं हैं जो धर्म और जाति के नाम पर देश और राज्य की सत्ता हथियाने वाली पार्टी ने जाति के आधार पर ही आपको महामहिम राष्ट्रपति की कुर्सी पर विराजमान कराया है ! क्या देश की तरक्की का यही पैमाना है आपकी सरकार का ! शायद इसीलिए लोग कहने लगे हैं कि जब यूनिवर्सिटी से निकले लोग रिक्शा चलायेंगे और जेल से निकले लोग देश तब ऐसे ही तरक्की करेगा देश। लोकतंत्र के चारों स्तंभ तो ढह ही चुके हैं रही सही कसर आपने भी पूरी कर दी है ! जब राम मंदिर में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं तो अब तो यह भी कहना बेमानी होगा कि देश भगवान (राम) भरोसे है।
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
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