कंगना ने मचाई बीजेपी के अंगना में हलचल
खरी-अखरी (सवाल उठाते हैं पालकी नहीं)
हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर बमुश्किल 10 दिन का समय बचा हुआ है। सप्ताह के भीतर चुनाव प्रचार का शटर बंद हो जायेगा। मगर जिस तरह से बीजेपी की नई नवेली सांसद कंगना भाजपा के अंगना में मंथरा की भूमिका निभा रही है उससे तो यही लगता है कि कंगना ने भाजपा को वनवास भेजने की सुपारी ली हुई है वरना कोई कारण नहीं है कि वे भाजपा को निपटाने के लिए बारबार किसानों को लेकर अनाप-शनाप बयान बाजी करती फिरें। वैसे मोदी भाजपा को करीब से जानने वाले राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा में नख से लेकर शिख तक के नेता की इतनी ही औकात है कि वह मोदी के ईशारे के बिना सांस भी नहीं ले सकता है।
नरेन्द्र मोदी द्वारा लाये गये जिन तीन काले कृषि कानूनों को वापिस कराने के लिए जिस तरह से किसानों ने लम्बे समय तक आन्दोलन किया, आठ सैकड़ा के लगभग किसानों की शहादत देकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को घुटने टेक कर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया। बीजेपी सांसद कंगना रानाउत ने यह कह कर किसानों के जख्मों को कुरेद दिया है कि किसानों को खुद तीनों कृषि कानूनों को वापस लाने की डिमांड करनी चाहिए। इसके पहले भी हरियाणा विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही मंडी से चुनी गई बीजेपी की नई नवेली सांसद ने किसानों द्वारा किये गये आन्दोलन को लेकर निहायत घटिया विवादास्पद बयान देकर किसानों को भड़का दिया था और भाजपा हाईकमान को अपनी नाक बचाने के लिए कंगना के बयान से पल्ला झाड़ना पड़ा था। कंगना रानाउत ने कुछ ऐसा कहा था कि किसान आन्दोलन के नाम पर हिंसा फैलाते हैं, वहां बलात्कार और हत्या हो रही है। किसानों को आतंकवादी, उग्रवादी तक कहा गया। कंगना को किसानों के प्रति दिये गये अपने नफरती बयान की कीमत अपने मुलायम गालों पर हरियाणवी करारी हथेली का वार सह कर चुकाना पड़ा था।
चुनाव के चलाचली की बेला में एक बार फिर कंगना ने बीजेपी के अंगना में खलबली मचा दी है और एकबार फिर भाजपा हाईकमान को अपनी घुटती सांसों को साधने के लिए कंगना के बयान से किनारा करना पड़ा है। वैसे तो विवादास्पद टिप्पणियों से कंगना का चोली दामन का साथ है। बालीवुड क्वीन और सांसद कंगना राजनीति और सामाजिक मामलों के कई मुद्दों पर विवादास्पद टिप्पणी करके सुर्खियों में बनी रहती हैं।
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
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