खरी-अखरी (सवाल उठाते हैं पालकी नहीं) शहर विकास में स्वार्थपरता का साया
कटनी / सतना। पश्चिम मध्य रेल जबलपुर मंडल द्वारा सतना रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास का शुभारंभ किया जा रहा है। मगर कार्यक्रम शुरू होने के पहले ही रेल मंडल द्वारा छपवाये गये आमंत्रण पत्र पर विवाद शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि स्थानीय विकास पर स्वार्थगत राजनीति की छाया दिखाई दे रही है। जानबूझ कर प्रोटोकोल की गरिमा को कलंकित किया जा रहा है।
रेलवे मंडल द्वारा छपवाये गये आमंत्रण पत्र में सतना सांसद गणेश सिंह के साथ सतना विधायक सिध्दार्थ सुखलाल कुशवाहा का नाम तो है मगर सतना जिले से ही राज्य मंत्री बनी प्रतिमा बागरी और सतना के प्रथम नागरिक महापौर योगेश ताम्रकार का नाम नदारत है। ऐसा नहीं है कि प्रतिमा बागरी और योगेश ताम्रकार गैरभाजपाई हों। अगर होते भी तो भी सतना में होने वाले कार्यक्रम में उन्हें ससम्मान बुलाया जाना चाहिए। राजनीतिक और आम गलियारों में भी इस बात को लेकर आलोचनात्मक चर्चा हो रही है कि भाजपा के भितरखाने शहर विकास को लेकर भी सामंजस्य का अभाव है और स्वार्थपरत राजनीति हावी है।
प्रोटोकॉल को लेकर कुछ इसी तरह का नजारा कटनी में जून माह के प्रथम सप्ताह में सामने आया था जब स्थानीय विधायक और जिलाध्यक्ष की मौजूदगी में प्रथम नागरिक महापौर श्रीमती सूरी की बैठक व्यवस्था में तत्कालीन कलेक्टर अवि प्रसाद द्वारा प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर महापौर को अपमानित किया गया था। कलेक्टर सभागार में गंगा संवर्धन अभियान के तहत जल स्त्रोतों के संरक्षण एवं पुनर्जीवन पर बैठक आयोजित की गई थी।
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
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