भाजपा विधायक द्वारा भगवान और धर्म के नाम पर किया जा रहा साजिशी गोरखधंधा हुआ बेनकाब
देश में भगवान और धर्म के नाम पर लूट खसोट का काम सबसे ज्यादा अगर कोई करते हैं तो वह होते हैं कालनेमि रूपी सफेदपोश नेतागण। अगर वह माननीय की कतार में खड़ा हो गया तो फिर क्या कहने उसे तो फिर घूम-घूम कर मूतना ही है। और वह तब जब उसके कुकृत्यों को रोकने वाला प्रशासन खुद उसकी चौखट पर नतमस्तक हो अपनी जीभ से उसके तलवे चाटता नजर आता हो - भांड मीडिया कर्मियों और बिकाऊ मीडिया घरानों में होड़ लगी हो कुकर्मियों को कर्मवीर बनाने में !
ऐसे ही एक मामले को पत्रिका समाचार पत्र ने भोपाल से प्रकाशित कर कटनी जिले की विजयराघवगढ़ विधानसभा से विधायक संजय पाठक की अगुवाई में किये जा रहे अवैधानिक कृत्य की साजिश का पर्दाफाश किया है जो चर्चाओं में है। पत्रिका समाचार पत्र ने न केवल विधायक को कटघरे में खड़ा किया है बल्कि उसने तो विपक्षी पार्टियों, प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया कर्मियों सहित क्षेत्रवासियों की नपुंसकता को भी अपरोक्ष तरीके से उजागर कर दिया है।
सर्वाधिक चर्चित है कि विजयराघवगढ़ विधानसभा से विधायक संजय पाठक ने धर्म की आड़ में सबसे पहले विजयराघवगढ़ राजघराने की विरासती पहचान राजा पहाड़ को मिटाने के लिए राजा पहाड़ का नाम राम राजा पहाड़ कर दिया और विपक्षी दलों के सूरमाओं, प्रिंट - इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के नामधारी कर्मियों से लेकर क्षेत्रीयवासियों तक ने मुंह खोलने की जहमत तक नहीं उठाई। अब जो खबर आ रही है वह भगवान और धर्म को भी शर्मसार करने वाली है।
पूरे जिले से लेकर दूर दराज तक प्रचार-प्रसार किया गया है कि 12 जून को तीर्थ क्षेत्र बनाने के नाम पर भूमि पूजन किया जाने वाला है। जिसमें मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जूनागढ़ पीठाधीश्वर अवधेशानन्द गिरी तथा बड़ी संख्या में साधु संतों का समागम होगा। और अगर दो - दो मुख्यमंत्रियों और धर्म गुरुओं की मौजूदगी में विधायक अपने मंसूबे में सफल हो गया तो फिर वैधानिक नियमों की भी हत्या हो जायेगी।
कटनी जिले की विजयराघवगढ़ तहसील के अंतर्गत आता है ग्राम हिनौता। जहां पर महानदी और कटनी नदी के संगम पर स्थित है विजयराघवगढ़ राजवंश की पहचान राजा पहाड़। वर्तमान में यह पहाड़ वन विभाग के आधिपत्य में आता है। ग्राम पंचायत हिनौता ने जनपद पंचायत के जरिए वन भूमि संरक्षण अधिनियम 1980 के अंतर्गत वन विभाग से राजा पहाड़ पर सामुदायिक भवन, उचित मूल्य की दुकान एवं पानी की टंकी बनाने के लिए 0.97 हेक्टेयर यानी लगभग ढाई एकड़ जमीन आवंटित कराई गई है।जैसे ही वन विभाग द्वारा आवंटित जमीन पंचायत के कब्जे में आई क्षेत्रीय विधायक संजय पाठक द्वारा इस जमीन पर तीर्थ स्थल बनाने की घोषणा कर दी गई।
सवाल है कि जब जमीन पंचायत को सामुदायिक भवन, उचित मूल्य की दुकान और पानी की टंकी के निर्माण के लिए आवंटित की गई है और वहां पर विकास कार्य पंचायत को कराना है तो फिर उस जमीन का उद्देश्य बदल कर वहां तीर्थ स्थल बनाने के लिए भूमि पूजन कराने का अधिकार विधायक संजय पाठक को किसने दिया?
जिस जगह पर पंचायत को सामुदायिक भवन, उचित मूल्य की दुकान और पानी की टंकी बनवानी है उस जगह पर विधायक संजय पाठक द्वारा तीर्थ स्थल निर्माण और भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित कराये जाने का दावा किस अधिकार से किया जा रहा है?
वन भूमि संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों को ताक पर रखकर राजा पहाड़ पर तीर्थ स्थल निर्माण और भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित किए जाने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री द्वय और पीठाधीश्वर की उपस्थिति अवैधानिक कृत्य को वैधानिकता प्रदान नहीं करेगी क्या?
फिर प्रशासनिक अधिकारियों की औकात है क्या जो हो रहे अवैधानिक कार्य को रोकने की कार्रवाई कर सके?
प्रशासनिक अधिकारी तो अभी से मूक-बधिर बने हुए हैं। बताया जाता है कि वन विभाग द्वारा आवंटित की गयी जगह से कहीं अधिकाधिक जमीन पर कब्जा किया जा चुका है। बड़ी - बड़ी मशीनों से काम शुरू हो चुका है। महानदी के किनारे समतल कर बाउंड्रीवाल तक बनाई जा रही है जबकि नियमानुसार नदी से 300 मीटर दूर तक फ्लड एरिया में किसी तरह का निर्माण कार्य नहीं कराया जा सकता है।
मतलब बहुत साफ - साफ नजर आ रहा है कि विधायक द्वारा धर्म के नाम पर सरकारी जमीन वह भी वन विभाग की जमीन को हड़पने की पूरी तैयारी कर ली गई है।
महीनों से चल अवैध निर्माण कार्यों पर तो जिम्मेदारों ने अभी तक किसी तरह की कार्रवाई करने का साहस नहीं जुटाया है। अब वन विभाग के अधिकारियों द्वारा कहा जा रहा है कि वन भूमि संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों के अनुसार 0.97 हेक्टेयर भूमि का आवंटन पंचायत को सामुदायिक भवन, उचित मूल्य की दुकान और पानी की टंकी निर्माण के लिए किया गया है। यदि आवंटन की तय शर्तों के मुताबिक निर्माण कार्य नहीं कराये जाते हैं तो आवंटन निरस्त कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
अभी तक तो वन विभाग सब कुछ जानते-बूझते मूक-बधिर बना हुआ है और जब कल भूमि पूजन हो जायेगा वह भी मुख्यमंत्री की मौजूदगी में तो उसके बाद वन विभाग के अधिकारी कार्रवाई करेंगे! मतलब सांप निकल जाने के बाद लाठी पीटेंगे।
वैसे भी यह तो कहा ही जा सकता है कि इतना निकम्मा प्रशासन, जमीर बेचू मीडिया, नपुंसक विपक्ष और पक्षाघाती जनता कटनी जिले को छोड़कर शायद ही कहीं मिले।
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
nice
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