भाजपा नेता को सुनोज दुबे ने क्यों दी थी माँ की गाली
कटनी। एक सप्ताह के भीतर भाजपा के दो नेताओं और पुलिस के बीच जुबानी जंग छिड़ चुकी थी। दोनों नेताओं ने पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत पेश भी की थी। लेकिन कार्रवाई पर खटाई पड़ता देख एक ने सड़क पर आंदोलात्मक रास्ता इख्तियार कर हंगामे के साथ यातायात थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंप कार्रवाई की गुहार लगाई थी।
इसी प्रकार दूसरे भाजपा नेता ने पुलिस अधीक्षक को दिये शिकायती पत्र पर कोई कार्रवाई होता न देख कटनी पहुँचे मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव को ही ज्ञापन थमा दिया। ऐसे दिलचस्प मामले से साफ नजर आता है कि भारतीय जनता पार्टी के नेता जो ये सोच कर हवा में तैरते हुए नजर आते थे। अब इनकी हवाई तैराकी पर अदने से खाकीवर्दी वाले पर ( पंख ) काटने में लगे हुए हैं।
आपको बताते चलें कि 4 अप्रैल 2025 को भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष समेत जिला मंत्री इन्द्र मिश्रा को यातायात पुलिस की सूबेदारनी सोनम उइके ने पसीने बहा दिए थे। जिसको सुखाने के लिए भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष समेत जिला मंत्री को पुलिस अधीक्षक से आप बीती की दास्तां बकायदा लिखित शिकायत के रूप में देने पर भी सूबेदारनी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिसके बाद अपना रुतबा और जलवा बरकरार रखने के लिए सड़क पर आंदोलन करते हुए यातायात थानेदार को ज्ञापन सौपना पड़ा। बावजूद कार्रवाई के नाम पर हास्लाई शून्य मिला।
इसी तरह एक बार फिर 30 मार्च 2025 को भारतीय जनता पार्टी के पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला मंत्री से किसान मोर्चा के जिला मंत्री का मिलता जुलता मामले के प्रकाश की रोशनी की लौ माधवनगर थाना के इर्द गिर्द घूमते हुए मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के हाथों को गरम करने जा पहुँची। आपको बता दें कि मुड़वारा भाजपा विधायक संदीप जायसवाल की माताजी के निधन पर उनके निवास पर श्रद्धांजलि देने पहुँचे मुख्यमंत्री मोहन यादव के हाथ में भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला मंत्री विमल साहू ने एक ऐसा ज्ञापन सौंपा जिसे पढ़ने के बाद मुख्यमंत्री आश्चर्यचकित हो गए। और मन ही मन सोचने लगे कि जो भाजपा संस्कार और संस्कृति का उदाहरण पेश करती थी, लेकिन ये क्या यहां तो संस्कार और संस्कृति तो कोसो दूर है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव को एक ऐसा अजीबो - गरीब ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें सारी मर्यादा को ताक पर रखकर लिखा गया था। दरअसल यहां पर भी ज्ञापन में लिखी शिकायत खाकीवर्दी धारी पुलिस के ही खिलाफत थी। मुख्यमंत्री को दिये ज्ञापन में थाना माधवनगर में पदस्थ आरक्षक क्रमांक 337, सुनोज कुमार दुबे के द्वारा बीच चौराहे पर भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला मंत्री विमल साहू के साथ गाली गलौच की शिकायत का ज्ञापन था। जिसमें लिखा गया था कि 30 मार्च 2025 को रात 8 बजे के आसपास जब मैं अपनी दुकान से मार्केट की तरफ जा रहा था तभी माधवनगर चावला में कुछ पुलिस वाले खड़े हए थे। तभी सुनोज कुमार दुबे ने मुझे बाजार तरफ जाने से रोका। तो मैंने कहा मुझे दो मिनट का काम है करके निकल जाऊंगा।
तभी पुलिस वाले सुनोज कुमार दुबे ने मां की गाली गलौच देना शुरू कर दिया। साथ ही कहा ज्यादा नेतागिरी दिखा रहा है। साथ ही पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला मंत्री विमल साहू ने आरोप लगाया है कि पुलिस वाले शराब के नशे में थे। ये सब तो ठीक है। शिकायत करना और उस पर न्याय पाना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। लेकिन जिस तरह की गाली ज्ञापन में लिखी गई है वो तो हम अपनी खबर में नहीं लिख सकते। ज्ञापन देना तो ठीक था। तोते तो उस समय उड़ गए जब मुख्यमंत्री ज्ञापन को बड़े गौर से पढ़ रहे थे।
अचानक ज्ञापन पढ़ते - पढ़ते उनके चेहरे पर एक धीमी सी मुस्कान नजर आई। ये मुस्कान कोई खुशी वाली नहीं बल्कि अफसोस वाली थी। क्योंकि मुख्यमंत्री को ज्ञापन ऐसे लिखा गया था जैसे किसी थाना प्रभारी के नाम लिखा जाता है। ज्ञापन में खुले रूप से मां की गाली लिखी गई थी। जो पुलिस वाले ने पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला मंत्री विमल साहू को दी थी। वो सारी धमकियां भी थी जो पुलिस वाले ने जिला मंत्री को दी थी। जबकि सूबे के मुखिया को ज्ञापन में लिखी बात मर्यादित और संयम भरी होनी चाहिए थी। लेकिन ज्ञापन में मर्यादा और शालीनता तो नजर नहीं माँ , बहन की गाली गुफ्तार जरूर शामिल की गई थी। सबसे मजेदार बात तो ये है कि पुलिस वाला वर्दी के नशे में चूर था, तो सत्ता के नशे में चूर नेता जी ये भी भूल गए कि ज्ञापन मुख्यमंत्री को दे रहे हैं वो भी सीधे हाथों हाथ, न कि किसी थाना प्रभारी को। अब मुख्यमंत्री खुद विचार करें कि जब उन्हें इस तरह की असंसदीय भाषा का ज्ञापन दिया जा सकता है। तो भला सत्ता का इन छुट भैया नेताओं से उम्मीद भी क्या की जा सकती है, की ये अपनी हदे पार न करते होंगे।
रवि कुमार गुप्ता : संपादक
( जन आवाज )
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