कटनी। पूर्व आर्म्स डीलर नाजिम खान और उनके परिवार को जिंदा जला देने की खबर से पूरे शहर में हलचल मच गई थी। आपको बता दें कि ये वहीं नाजिम खान है जो कभी धन कुबेर भाजपा विधायक खनिज माफिया, भू- माफिया संजय पाठक के इतने करीब हुआ करते थे जितना दिल और धड़कन। ये वही नाजिम खान है जो कभी संजय के इशारे से पहले पलक झपकते ही सब कुछ कर गुजर ने के लिए हर वक्त तैयार और तैनात हुआ करते थे। लेकिन आज आलम ये है कि जिस तरह दूध और नींबू का कोई मेल नहीं, उसी तरह संजय और नाजिम ठीक उसी तरह आमने सामने खड़े हो गए हैं। एक दूध तो दूसरा नींबू बन बैठे हैं.? अब दूध कौन और नींबू कौन इस पर बाद में फिर कभी चर्चा करेंगे। लेकिन जिस दिन से नाजिम संजय से अलग हुआ है उस दिन से अब तक की ये तीसरी घटना है नाजिम को मिटा देने का प्रयास करने की। हम ये नहीं कह रहे कि इन सब के पीछे संजय का हाथ है। जो लोग भी हैं घटना तो हुई है। लेकिन इस बार तो हद हो गई, नाजिम के साथ पूरे परिवार को ही जिंदा जला देने का इतना घिनौना षड्यंत्र रचा गया वो भी उस समय जब पूरा शहर आधी रात को नींद की आगोस में था। नाजिम और उसका परिवार भी रात के सन्नाटे में चैन की नींद सो रहा था। लेकिन 27, 28 अगस्त की दरम्यानी रात विरोधियों ने तो नाजिम एवं उसके परिवार को मुक्कमल नींद देने की तैयारी करा अनाड़ियों को आग लगाने घर भेज दिया, जहाँ पहले से तीसरी आंख सब कुछ देख रही थी। जिसने सब कुछ कैद कर आधी रात को सनसनीखेज वारदात को अंजाम देने सफेद रंग की स्कूटी से तीन नकाबपोश बदमाश आते हैं और मेन गेट के अंदर ज्वलनशील जो भी था। डालकर आग लगा भाग जाते हैं। ये ऊपर वाले का करम था जिस रात बदमाशों को आग लगाने नाजिम के घर भेजा गया उस रात बारिश होने के चलते पोर्च पूरी तरह गीला हो चुका था। नहीं तो उस रात विरोधियों की मंशा पूरी हो गई होती क्योंकि पोर्च के अंदर चार पहिया के अलावा मोटरसाइकिल खड़ी थी। वो तो गनीमत थी की बारिश होने के चलते आग खड़े वाहन तक पहुँच नहीं पाई। वरना नाजिम और उसके परिवार की कहानी किस्सा बन चुकी होती।
हालांकि इस मामले ने कटनी के अलावा पूरे प्रदेश में हलचल मचा कर रख दी। जिसपर स्वयं मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस घटना पर संज्ञान लेते हुए कटनी पुलिस अधीक्षक को शीघ्र कार्रवाई के आदेश दिए गए। सबसे बड़ी बात ये है कि घटना को हुए करीब दो सप्ताह बीत चुके हैं। लेकिन माधवनगर पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई करने से बच रही हैं। सूत्रों पर भरोसा करें तो नाजिम खान के घर आधी रात को आग लगाने वाले मुलजिमो की पहचान माधवनगर पुलिस को हो चुकी है। फिर भी पुलिस चुप्पी साधे हुए है। सूत्र तो ये भी बता रहे हैं की पुलिस की एक स्पेशल टीम मुख्य आरोपी की तलाश में दूसरे राज्य में डेरा डाले हुए थी। और आरोपी के गिरेबां तक पहुँचने में सफल भी हो गई। सूत्रों पर भरोसा करें तो माधवनगर थाना प्रभारी संजय दुबे इस घटनाक्रम की विधिवत जांच कर सम्पूर्ण रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक को सौंप दी गई। अब बात वहीं आकर रुक जाती है की आखिर पुलिस अधीक्षक पीड़ित नाजिम खान के आरोपियों का खुलासा और कार्रवाई करने से क्यों बच रहे हैं। कहीं इस अग्निकांड को अंजाम दिलाने के पीछे किसी रसूखदार धनकुबेर, सफेदपोश का हाथ तो नहीं है.? या फिर इस कांड को करवाने के पीछे धनकुबेर के किसी करीबी की मिलीभगत हो.? अपराध तो हुआ है और अपराधी कोई भी हो पुलिस को अब जल्द ही इस मामले से पर्दा उठा देना चाहिए। ताकि जनता में पुलिस की बिगड़ी छवि में सुधार हो सके। साथ ही पुलिस से उठ चुका भरोसा जनता में फिर कायम किया जा सके। साथ ही ऐसे कुकर्म करने और करवाने वालों को सबक मिल सके।