कहीं यह प्रहलाद के आंतरिक दर्द का इजहार तो नहीं!

 

दमोह। दमोह संसदीय क्षेत्र से बीजेपी सांसद सह केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटैल ने दमोह पुलिस की सेवाएं लेने से यह कहते हुए मना कर दिया है कि पुलिस झूठे मुकदमे दर्ज कर रही है। प्रहलाद पटैल का इस तरह का बयान बड़ा बेतुका और हास्यास्पद लगता है।


सवाल यह है कि क्या मध्यप्रदेश में दमोह की पुलिस ही झूठे मुकदमे दर्ज कर रही है? क्या पुलिस पहली बार झूठे मुकदमे दर्ज कर रही है?


अरे भाई यह तो प्रदेश सहित पूरे देश में हो रहा है। पुलिस सत्ता से जुड़े हर अपराधिक तत्व को बचाने के लिए ढाल की तरह खड़ी हो जाती है। ताजातरीन मामला तो भाजपाई सांसद बृजभूषण सिंह का ही है।


कटनी में तो खुद तत्कालीन पुलिस कप्तान प्रदेश के धनपतियों की ऊंची पायदान पर खड़े खनिज कारोबारी एक विधायक की काली करतूतों को छुपाने की पैरवी करते हुए कई बार नजर आये हैं। पत्रकार से लेकर आम नागरिक तक जबरिया झूठे मुकदमे दायर किए गए हैं।


जन सामान्य की आवाज तो पुलिसिया नक्कारखाने में हमेशा दम तोड़ देती है। आम आदमी के लिए तो कभी सत्ताई सुख सुविधाओं का त्याग नहीं किया गया। जब अपने पर चोट लगी तो दर्द का अहसास हुआ। कहते भी हैं न जब खुद की..... में डंडा जाता है तभी दर्द महसूस होता है वरना दूसरे की......... में जाने वाले डंडे को तो भूसे में जाना कहा जाता है।


प्रहलाद पटैल की वजनदारी को समझते हुए प्रदेश गृहमंत्री ने तत्काल सीआईडी जांच की घोषणा कर दी। बाकी जनता जाय भाड में। यही है वीआईपी कल्चर।


राजनीतिक गलियारों में प्रहलाद पटैल के इस एक्शन को शिवराज के खिलाफ निकाली गई भड़ास कहा जा सकता है। और यह स्वाभाविक भी है। कारण जिस तरह की खबरें आ रही हैं उसके अनुसार शिवराज अपनी अंतिम पारी खेल रहे हैं तो फिर प्रहलाद को अपनी भड़ास निकालने का मौका अभी नहीं तो कभी नहीं।


संभवतः प्रहलाद की भड़ास के पीछे छिपी है कुछ दिनों पहले लगभग - लगभग तय हो चुकी थी भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की ताजपोशी। कहते हैं जिसे मटियामेट करने में अहम रोल अदा किया था शिवराज ने। और अगर यह सही है तो राजनीति को करीब से जानने वालों के मुताबिक ऐसा नासूरी घाव प्रहलाद को पहली बार नहीं दूसरी बार मिला है वह भी शिवराज से।


अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

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