मेडिकल कॉलेज चाहिए तो जिंदा रहने का जीवित सबूत दें शहरवासी

कटनी। हरि हर को मालूम है कि मेडिकल कॉलेज जीवित और बीमार जनों के लिए होते हैं मुरदों के लिए नहीं। मुरदों को तो मोक्ष दिलाने के लिए तीर्थ स्थल होते हैं। इसी वजह से हरि हर जिन शहरों में जीवित और बीमार जन निवास करते हैं उन शहरों में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा कर रहे हैं।


जिस शहर में खुद शहर और उसके निवासी मुरदों में तब्दील हो चुके हैं उस शहर में मेडिकल, इंजीनियरिंग, नर्सिंग काॅलेज खोलना फिजूलखर्ची ही होगा। इसलिए इस शहर के आसपास तीर्थ स्थल बनाना ज्यादा लाभदायक होगा।


यही सब सोच विचार करने के बाद ही हर की सरकार ने जीवित 6 शहरों में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की है जबकि मुरदों की बस्ती कटनी के पास विजयराघवगढ़ में हरिहर नाम से एक तीर्थ स्थल बनाने की आधारशिला रखी है ताकि वहां जाकर कटनीवासी मोक्ष की प्राप्ति कर सकें।


मेडिकल कॉलेज की मांग करने वालों को तभी समझ जाना चाहिए था जब प्रदेशाध्यक्ष सह सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने कहा था कि  "मेडिकल कॉलेज की मांग नकारात्मक एजेंडा है" और मेंटल डिसआर्डर राजू ने कहा था कि "उत्साही लोग दर - दर पन्ना पकडाते फिर रहे हैं कि मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग काॅलेज बनवा दो। हुआ - हुआ करते - हुंकार भरते हुए कुछ लोगों के द्वारा कहा जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग काॅलेज बनवा देंगे। या अली हम बनवा देंगे हे बजरंगबली हम बनवा देंगे।


अब जब सरकार ने भी अपनी मंशा कर ही दी है तो क्या बचता है सिर्फ मोक्ष प्राप्ति के।


पहले भी कहा था कि कटनी शहर बनियों का शहर है। यहां लोगों को दो दूनी पांच करने से फुरसत नहीं है। अधिकारियों के लिए कटनी जिला चारागाह है जिस तरह से चाहो जी भर कर चरो।

सही मायने में मेडिकल, इंजीनियरिंग, नर्सिंग कॉलेज चाहिए तो शहरवासियों को जिंदा होने का जीवित सबूत देना होगा फिर आगे भी यही होगा जो हो रहा है।


मेडिकल कॉलेज की घोषणा हो सकती है यदि मीडिया घराने साथ दें तो। कर दें प्रशासनिक खबरों का प्रसारण बंद। पेड न्यूज छापना बंद कर दें। छापें - दिखायें प्रशासन की नग्न तस्वीरें। मगर ऐसा होना संभव दिखाई नहीं देता। सबके अपने - अपने हित हैं - पापी पेट का सवाल है रे बाबा।

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

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