जिले का एसपी बदला लेकिन फिजा में रंगत वही पुरानी

कटनी। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अभिजीत कुमार रंजन और उनकी पुलिस का फैलाया हुआ रायता कटनी जिले में पहली पोस्टिंग पाने वाले नवागत पुलिस अधीक्षक अभिनय विश्वकर्मा को ऐड़ी चोटी का जोर लगाकर समेटना पड़ेगा। आपको बता दें कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अभिजीत रंजन ने जिस तरह अपने ढाई साल के कार्यकाल में गंदगी मचाकर गए हैं उससे आपराधिक गतिविधियों की बदबू पूरे जिले में सड़ांध मार रही है। अब उस बदबू को नये पुलिस अधीक्षक अभिनय विश्वकर्मा खुशबू में कैसे तब्दील करते हैं ये उनके लिये किसी चैलेंज से कम नहीं होगा।

जुटाई गई जानकारी के मुताबिक जिस राहुल बिहारी औऱ उसकी गैंग को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रंजन ने पकड़ने के बाद ताबड़तोड़ बैटिंग कर आम से लेकर खास तक को ये संदेश पहुँचाया था कि कोई भी राहुल बिहारी इनके होते हुए शहर की फिजा को दूषित करने की हिम्मत नहीं कर पायेगा। सबसे मजेदार बात ये है कि जिस राहुल बिहारी के पैर तोड़कर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अभिजीत कुमार रंजन ने बैसाखी पर चलने के लिए मजबूर कर दिया था कुछ समय बाद शहर की फिजा ऐसी बदली मानों अभिजीत रंजन ने राहुल बिहारी गैंग को गोद ले लिया हो। दिन, रात, महीने बीतते गए और राहुल बिहारी एवं उसकी गैंग का आतंक चरम सीमा को पार करते हुए अपनी गुंडागर्दी और अभिजीत रंजन के आशीर्वाद के कवज के बल पर आवाम को ही तड़पाने लगा। गौरतलब है कि कुछ महीने पूर्व ही कोतवाली क्षेत्र के सब्जी मंडी में व्यापारी राकेश मोटवानी पर राहुल और उसकी गैंग ने जान लेवा हमला करने पर पुलिस अधीक्षक अभिजीत रंजन के द्वारा ठोस कार्रवाई न करने पर मुड़वारा भाजपा विधायक समेत तमाम उपनगरीय क्षेत्र के व्यापारियों को बंद का आह्वान कर सड़क में उतरना पड़ा था। जिसके बाद मरता क्या न करता की तर्ज पर मजबूरन पुलिस अधीक्षक रंजन को कार्रवाई करना पड़ा था। अभिजीत रंजन ने जिस तरह से अपनी पुलिस को सेट किया आज भी उसी ढर्रे में पुलिस काम कर रही है। जिला का एसपी भले ही बदल गया हो लेकिन फिजा में आज भी जहरीला पन खत्म नहीं हुआ है क्योंकि उस जहरीली फिजा को चलाने की चाबी अब भी तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रंजन के हाथों में कठपुतली बनी हुई है, जिसका ताजा नमूना विगत दिनों देखने को मिला।

आपको बताते चलें कि नए पुलिस अधीक्षक की आमद के कुछ दिन बाद ही राहुल बिहारी गैंग ने उसी राकेश मोटवानी को सब्जी मंडी समीप राधा बाई मार्केट में दुकान में घुस कर केस वापस लेने की धमकी देते हुए मारपीट कर लूटामारी की गई। ये तो गनीमत थी कि इस बार अभिजीत रंजन पुलिस अधीक्षक की कुर्सी पर नहीं थे वरना..? भला हो नवागत पुलिस अधीक्षक अभिनय विश्वकर्मा का जिन्होंने कोतवाली प्रभारी को मामला कायम करने का तत्काल फरमान जारी कर दिया। लेकिन नए कप्तान के आने के बाद कटनी की आवाम ने जिस तश्वीर को अपने जहन सोच रखा था वो पूरी तरह धुंधली हो गई। और लोगों को फिर वही पुराना अभिजीत रंजन अभिनय विश्वकर्मा में नजर आने लगा। जिसकी बानगी 50 लाख की कार में गरीबों वाला देशी ब्रांड देखने को मिला। 

सबसे मजेदार बात ये है कि जिले के करीब 17 थानों में थाना प्रभारियों समेत पुलिस की तैनाती कर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अभिजीत रंजन गए हैं आज पुलिस का रवैया उसी माहौल में सांस ले रहा है। ये इसलिए कहना भी लाजमी हो जाता है कि सबसे बड़ा चौकानें वाला मामला 15, 16 जून की दरम्यानी रात थाना स्लीमनाबाद चर्चा में बना हुआ है। और चर्चा कुछ खास नहीं महज आधा करोड़ की लग्जरी कार मर्सडीज में अवैध शराब ढोने का वो भी देशी की प्लेन। है ना स्लीमनाबाद पुलिस की बड़ी कार्रवाई जिसके एवज में स्लीमनाबाद थाना समेत तमाम पुलिसिया को इस कार्रवाई के लिए कोई बड़ा अवार्ड मिलना तो बनता है.?

स्लीमनाबाद पुलिस अपने आपको होशियार या फिर जनता को मूर्ख समझ रही है। खैर जनता इसमें कर भी क्या सकती है। जिसने भी पुलिस की कार्रवाई को सुना बिना हंसे उससे रहा नहीं गया। आपको बता दें कि सूत्रों पर भरोसा करें तो रात करीब 1 डेढ़ बजे स्लीमनाबाद थानाक्षेत्र के छपरा बायपास में पुलिस को चारो तरफ से बंद एक सफेद कलर की मर्सडीज कार खड़ी नजर आती है। जब पुलिस कार के नजदीक जाती है तो उसे वहां कोई नजर नहीं आता सिवाय कार के। पुलिस बड़ी ही ईमानदारी के साथ कार के पास पूरी रात गुजार देती है। लेकिन कार का कोई धनी ढ्योरी नहीं मिलता। और फिर पुलिस सुबह क्रेन के द्वारा कार को थाने ले आती है। जहाँ पर शुरू होता है पुलिस की असल स्टोरी बिलकुल फिल्मी अंदाज में। जानकारी के मुताबिक तहसीलदार की निगरानी में बंद कार का दरवाजा और डिक्की के लॉक को तोड़ा जाता है। जिसमें 36 पेटी देशी शराब जिसकी कीमत पुलिस के द्वारा करीब सवा लाख रुपये बताई जाती है। बड़े शर्म की बात है अवैध शराब की तस्करी करने वाले ने कार की इज्जत भी बरकरार नहीं रखा। कहां मर्सडीज कार की कीमत 50 लाख और शराब सिर्फ सवा लाख की ये तो बड़ी ना इंसाफी है। इस कांड से दो बात समझ में आती है। पहली ये की शराब तस्कर अनाड़ी या फिर नया नवेला था। दूसरी बात ये की पुलिस बेवकूफ बना रही है कि पकड़ी गई अवैध शराब क्या वाकई देशी थी वो भी प्लेन।

पुलिस की माने तो कार में नंबर प्लेट आगे पीछे की जगह कार के अंदर मिली। चलो एक बार ये भी मान लेते हैं। लेकिन ये कैसे मान लिया जाए कि 50 लाख की मर्सडीज कार जो दिल्ली पासिंग है उसमें अंग्रेजी, अमेरिकन,जापान और जो भी नामचीन देशों के बड़े ब्रांड होते हैं उसकी जगह गरीबों वाली देशी प्लेन शराब की तस्करी की जा रही थी। खैर जो भी हो पुलिस ने 34 (2) की कायमी कर मामले को आंगे की कार्रवाई के लिए जांच में जी तोड़ मेहनत के साथ जुट गई है ये पता लगाने में की वो कौन है जो अमीरजादों वाली कार में मुफलिसों वाली शराब की तस्करी कर रहा था। पुलिस बड़ी बारीकी के साथ खोजबीन में जुट गई है कि आखिर वो कौन ठेकेदार है जिसने हमारी इज्जत का जनाजा निकलवाने में भी गुरेज नहीं किया देशी का पौआ देकर। अब पुलिस भी कश्मकश में है कि इस कार्रवाई से खुश होकर अपनी पीठ ठोकें या फिर तस्कर की बजाएं। खैर जो भी हो थाना स्लीमनाबाद पुलिस ने नए कप्तान की भद्द पिटवा कर रख दी। और कप्तान साहब भी ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि इस कार्रवाई से अपने सिपहसालारों की तारीफ करें कुछ और। एज बात और यदि तारीफ करनी होती तो कब की प्रेसवार्ता हो चुकी होती। और गोदी मीडिया ने नए पुलिस कप्तान को हीरो बना दिया होता जो बनते- बनते रह गए। 

         रवि कुमार गुप्ता : संपादक

                ( जन आवाज )

No comments

Powered by Blogger.