सेवानिवृत्ति की बाढ़ नई भर्तियों पर विराम, आयुध निर्माणी सहित कई विभागों में संकट गहराया
कटनी। जिले सहित देशभर में केंद्र एवं राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में लगातार कर्मचारियों की संख्या घट रही है। एक ओर हर माह सैकड़ों अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नई भर्तियों पर लगभग विराम लग गया है। इससे न केवल कार्यरत कर्मचारियों पर काम का अत्यधिक दबाव बढ़ रहा है, बल्कि बेरोजगारों की संख्या भी चिंताजनक स्तर पर पहुंचती जा रही है।
कटनी जिले की बात करें तो यहाँ का एकमात्र रक्षा संस्थान आयुध निर्माणी कटनी भी इसी गंभीर संकट का सामना कर रहा है। कभी इस प्रतिष्ठान में 5 से 7 हजार कर्मचारी कार्यरत थे, वहीं आज केवल 625 अधिकारी-कर्मचारी शेष हैं। स्थिति इतनी चिंताजनक हो चुकी है कि हर माह 5 से 7 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। 30 जून 2025 को एक ही दिन में 9 अधिकारी एवं कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिसमें उत्पल चटर्जी, अफसार अहमद सिद्दीकी, राकेश साहू, देवेन्द्र द्विवेदी, उमाकांत पांडे, प्रेमनाथ दहिया, हरिशंकर, हेतराम एवं रामबालक शामिल हैं।
इसके अलावा लोक निर्माण विभाग कटनी से भी एक साथ 4 अधिकारी-कर्मचारी आशीष श्रीवास्तव, अजय गुप्ता, दुर्गा झारिया एवं लव कुश सेवानिवृत्त हो रहे हैं। जिला कलेक्ट्रेट, पुलिस विभाग एवं नगर निगम सहित अन्य विभागों में भी यही स्थिति बनी हुई है।
निगमीकरण व निजीकरण की नीति पर सवाल
केंद्र सरकार द्वारा 1 अक्टूबर 2021 को देश की 41 आयुध निर्माणियों को सात अलग-अलग निगमों में परिवर्तित कर दिया गया। कर्मचारी संगठनों द्वारा विरोध किए जाने के बावजूद इस निर्णय को लागू किया गया। कर्मचारियों का कहना है कि इससे न केवल उनके भविष्य पर संकट खड़ा हुआ है, बल्कि देश की रक्षा तैयारियों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
मनोज निगम कार्यसमिति सदस्य आयुध निर्माणी कटनी का कहना है कि देश में बेरोजगारी चरम पर है, और इसके बावजूद केंद्र व राज्य सरकारें नई भर्तियाँ नहीं कर रही हैं। यह बेरोजगार युवाओं के साथ अन्याय है। उन्होंने यह भी कहा कि जब कोरोना जैसी महामारी और सीमा पर बढ़ते तनाव जैसे संकट देश के सामने हों, तब ऐसे समय में रक्षा संस्थानों का निगमीकरण करना राष्ट्रहित के विपरीत है।
यूनियनों का संघर्ष और Myself
आयुध निर्माणी एवं अन्य विभागों में कार्यरत कर्मचारियों की यूनियनें लगातार संघर्ष कर रही हैं। इनकी प्रमुख माँगें निम्न हैं।
नंबर एक निगमीकरण का प्रस्ताव तत्काल वापस लिया जाए। दूसरी मांग है एफडीआई की अनुमति रद्द की जाए। तीसरी एनपीएस समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू की जाए एवं खाली पदों पर शीघ्र सीधी भर्ती की जाए।
राष्ट्रीय स्तर पर सांकेतिक विरोध प्रदर्शन से लेकर आंदोलन तक किए गए हैं। लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गई है।
रक्षा और रेलवे की अनदेखी चिंता का विषय
देश की सुरक्षा व्यवस्था में आयुध निर्माणियों की भूमिका ऐतिहासिक रही है। चाहे कारगिल युद्ध रहा हो या कोरोना महामारी आयुध निर्माणियों ने हर बार समय पर और उच्च गुणवत्ता की सामग्री प्रदान कर देश सेवा में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। इसी प्रकार रेलवे, जो देश की जीवनरेखा मानी जाती है, में भी निजीकरण की प्रक्रिया तेज हो चुकी है। कई स्टेशन और ट्रेनें निजी हाथों में दी जा चुकी हैं। इससे न केवल रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं, बल्कि रणनीतिक क्षेत्रों का नियंत्रण भी निजी कंपनियों को सौंपा जा रहा है, जो सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक संकेत है।
राजनीतिक नेतृत्व से अपील
देश की अस्मिता और सुरक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे को गंभीरता से लें और सरकार पर निगमीकरण और निजीकरण की नीतियों को रोकने हेतु दबाव बनाएं। "रक्षा और रेलवे जैसे महत्त्वपूर्ण संस्थानों का अस्तित्व बनाए रखना हर भारतीय नागरिक का कर्तव्य है।"
मनोज निगम समाजसेवी
सचिव : जिला जन अधिकार मंच कटनी
सचिव : बारडोली उत्सव समिति कटनी
अध्यक्ष : मानसरोवर समिति कटनी
अध्यक्ष : श्री चित्रगुप्त पूजन समारोह समिति कटनी
कार्य समिति सदस्य आयुध निर्माणी कटनी।
Post a Comment