बह रही है धरना प्रदर्शन की बयार

 खरी - अखरी

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार

कटनी। जैसे - जैसे चुनावी अधिसूचना जारी होने के दिन नजदीक आते जा रहे हैं तो सत्ताधारी दल  के साथ - साथ कर्मचारी संगठनों, सामाजिक संस्थाओं की बैचेनी भी बढती जा रही है। एक ओर सत्तारूढ़ पार्टी का मुखिया फिर से सत्ता में लौटने के लिए आगा-पीछा सोचे बिना चादर से ज्यादा पैर पसार आसमान से चांद तोड़ लाने की घोषणा पर घोषणा किए जा रहा है। जबकि जनता यह भलीभांति जानने लगी है कि चुनावी मौसम में की जाने वाली घोषणाएं जुमला ही होती हैं। जिनका चुनाव के बाद कोई अस्तित्व नहीं होता है, ठीक वैसा ही जैसा "सबके खाते में 15 लाख रुपये आयेंगे - अच्छे दिन आयेंगे" का हुआ है। दूसरी ओर कर्मचारी संगठन और सामाजिक संस्थाएं भी बहुत कुछ बटोर लेने के लिए धरना प्रदर्शन आन्दोलन कर रही हैं।

कटनी को नरकापुरी बना चुके ट्रिपल इंजन सरकार के दरबारियों द्वारा फिर से जनता को सब्जबाग दिखाए जाने के तानेबाने बिछाये जा रहे हैं। आंखों पर चढी सत्ता की चर्बी के कारण सामाजिक संस्थाओं द्वारा दिखाई जा रही शहर की बदनुमा तस्वीर भी उन्हें खूबसूरत दिख रही है।*

शहर में चारों खूंट पसरा अतिक्रमण, गली-कूचे कुकरमुत्तों की तरह उगे ट्रांसपोर्ट, चींटियों की माफिक सड़क पर सरकती जनता, सफेदपोशों की छत्रछाया में अमरबेल की तरह पालित - पोषित माफियाओं के आगे दंडवत करते नियम कानून के रखवाले, बीमारू सरकारी अस्पताल, ईमोशनल ब्लैकमेलर बन चुके निजी चिकित्सा संस्थान, दानदाताओं द्वारा बनवाये गये विद्या मंदिरों को केयर टेकर द्वारा मटियामेट कर "नीचे पान की दुकान ऊपर गोरी का मकान" वाली सोच को अमलीजामा पहनाने की कोशिश, खेल और खिलाड़ियों के लिए दान में दिए गए एक मात्र खेल मैदान फारेस्टर प्ले ग्राउंड की छाती में रोपी गई चौपाटी, विकास के नाम पर बनवाया गया डेढ़ फुटिया ओवरब्रिज - ऐसे ही कुछ हैं कटनी नगर के हालात।

मेडिकल कॉलेज की मांग को लेकर कुछ सामाजिक संस्थाओं द्वारा सालभर से स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर सरकार को जगाने की कोशिश की जा रही है मगर मजाल है कि किसी के कानों में जूं तक रेंगी हो, वह भी ऐन चुनावी दहलीज पर खड़े होने के बावजूद। इसे जनप्रतिनिधियों, सत्ताधारी दल के अहंकार की पराकाष्ठा ही कहा जा सकता है।

जहां मेडिकल कॉलेज की मांग को लेकर जन अधिकार मंच नामक सामाजिक संस्था द्वारा आगामी सप्ताह कटनी बंद करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। वहीं श्री महाकाल सरकार सेवा समिति द्वारा एकबार फिर जगन्नाथ तिराहे से घंटाघर रोड़ का चौड़ीकरण तथा ट्रांसपोर्ट को ट्रांसपोर्ट नगर में शिप्ट करने की मांग को लेकर अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन करने की घोषणा की गई है।

श्री महाकाल सरकार सेवा समिति द्वारा पिछले साल 15 दिसम्बर 2022 को भी अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया था जिसकी सोची-समझी रणनीति के तहत नगर पालिक निगम द्वारा भ्रुण हत्या कर दी गई थी।

हुआ यह था कि धरना प्रदर्शन शुरू होते ही निगम आयुक्त ने मौके पर हाजिर होकर समिति के अध्यक्ष को पत्र क्रमांक 4540 दिनांक 15.12.2022 सौंपकर धरना प्रदर्शन को समाप्त करा दिया था। पत्र में लिखा है कि जगन्नाथ चौक से घंटाघर तक वर्तमान स्थित सड़क में सी. सी. रोड़ निर्माण, आर सी सी ड्रेन मरम्मत, क्रास ड्रेन एवं सीवर लाइन का कार्य कराये जाने हेतु 353.77 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई है। उक्त कार्य के लिए पत्र क्रमांक 4445 दिनांक 12.12.2022 जारी कर निविदा आमंत्रित की गई है जिसकी समय सीमा 30.12.2022 तय की गई है। निविदाएं मिलने के बाद सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के उपरांत कार्य प्रारंभ किया जायेगा। पत्र में इस बात का भी उल्लेख है कि उक्त मार्ग का चौड़ीकरण मास्टर प्लान में भी प्रस्तावित है। जिसकी सूचना पत्र क्रमांक 4480 दिनांक 14.12.2022 को समिति अध्यक्ष को दी जा चुकी है।

सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब आयुक्त द्वारा वस्तुस्थिति की जानकारी समिति अध्यक्ष को 14 दिसम्बर 2022 को दी जा चुकी थी तो फिर 15 दिसम्बर 2022 को धरना प्रदर्शन करने का क्या औचित्य था  ? अगर धरना प्रदर्शन शुरू ही कर दिया गया था तो चंद मिनटों में खत्म क्यों किया गया ? जबकि आयुक्त के पत्र क्रमांक 4540 दिनांक 15.12.2022 में कार्य कब से शुरू होकर कब खत्म किया जाएगा इसका कोई उल्लेख नहीं है।

आयुक्त नगर निगम द्वारा आन्दोलन को  साजिशन खत्म कराया गया था यह इस बात से साबित होता है कि 9 महीने बाद भी कोई कारगर काम अभी तक शुरू नही किया गया है बल्कि जगन्नाथ तिराहे से लेकर गर्ग चौराहे तक (घंटाघर रोड) के हालात बद से बदतर हो चुके हैं।*

आयुक्त का अपने पत्र में यह लिखना कि निविदाएं आमंत्रित की गई हैं। अपने आप में गलत बयानी लगता है। जब उस मार्ग पर से आज तक न तो अतिक्रमण ही हटाये गये तथा न ही सीवर बनाने का काम शुरू किया गया है और अभी इसके शुरू होने के आसार तो फिलहाल दूर - दूर तक दिखाई नहीं दे रहे हैं। यहां तक कि इस सड़क को लेकर महापौर श्रीमती प्रीति सूरी की चिंता भी हवा हवाई साबित हो रही है तो फिर किस बात की निविदा और कैसी निविदा !

एकबार फिर महाकाल सरकार सेवा समिति ने जगन्नाथ तिराहे से घंटाघर रोड़ का चौड़ीकरण, निर्माण एवं ट्रांसपोर्ट को ट्रांसपोर्ट नगर में शिप्ट करने की मांग को लेकर अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन का आव्हान किया है देखना है कि जनता समिति पर कितना विश्वास कर धरना प्रदर्शन में शामिल होती है। या एक बार फिर नगर निगम जन भावनाओं को कुचलने में कामयाब होती है।


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