दरअसल बीते शुक्रवार की सुबह कोतवाली क्षेत्र के नई बस्ती समीप संत नगर में पुलिस लिखी इनोवा कार से अवैध शराब की तसकरी की जा रही थी। उस कार की जानकारी शराब ठेकेदार के गुर्गों को लगी, तभी शराब ठेकेदार के गुर्गे कार को खोजने में लग गए। गनीमत से इनोवा कार कोतवाली क्षेत्र के संत नगर में ठेकेदार के गुर्गों ने पकड़ लिया। लेकिन शातिर शराब तस्कर कार को लॉक कर मौके से फरार हो गया। इसकी सूचना गुर्गो ने कोतवाली पुलिस को दी, और कार जब्त कर कोतवाली में खड़ी कराई गई। लेकिन पुलिस यहां भी दावा कर रही है कि शराब उन्होंने पकड़ी है। हालांकि शराब पकड़वाने वाले कोई साधू या महात्मा नहीं हैं। पुराने रिकॉर्ड सुदा बदमाश ही हैं.? जो जुआ, सट्टा, अवैध शराब का कारोबार कर अकूत धन इकट्ठा कर बैठे हैं, पुलिस की ही मेहरबानी से।
खैर आगे बताते चलें कि सूत्रों पर भरोसा करें तो चारों तरफ से बंद इनोवा कार क्रमांक एमपी 21- बीए- 0644 बरामद हुई जिसमें 25 पेटी देशी एवं विदेशी शराब लदी हुई थी। ठेकेदार के गुर्गो ने कार समेत अवैध शराब तो पकड़ ली। लेकिन कार के अंदर कौन था इस बात का कोई अता पता नहीं चल सका। सबसे बड़ी बात ये है कि जिस कार में शराब ढोई जा रही थी वह कार दो साल पहले किसी पुलिस वाले कि थी, जिसने कार को बेच दी थी। अब वो कार कुठला थाना क्षेत्र का रहने वाला रिजवान नाम के आदमी के नाम रजिस्टर्ड है।
सबसे बड़ी मजेदार और चौकानें वाली बात ये है कि कोतवाली पुलिस अपनी भद पिटवाने से बचने के लिए मीडिया की आँखों मे धूल झोंक कर इनोवा कार में लिखा हुआ पुलिस बड़े ही शातिराना अंदाज में सफाई के साथ मिटा चुकी थी, ताकि मीडिया को इस बात से बे - खबर रखा जा सके। लेकिन तीसरी आंख वाले पुलिस से कहीं ज्यादा शातिर निकले।
आपको आगे बताते चलें कि पुलिस इस पूरे मामले में अवैध शराब सप्लाई करने वाले ठेकेदार को बचाने में लगी हुई थी। सबसे बड़ी चौकानें वाली बात ये है कि इस पूरे मामले में यदि गौर किया जाए तो मुख्य आरोपी वो ठेकेदार है जिसने इतनी बड़ी मात्रा में अवैधानिक तरीके से शराब बेची, तो फिर दोषी कौन हुआ.? शराब ठेकेदार या फिर शराब ले जाने वाला। कायदे से तो मामला ठेकेदार पर दर्ज किया जाना चाहिए था जिसकी ये शराब है। लेकिन पुलिस ने शराब ठेकेदार को साफ बचाते हुए अज्ञात पर मामला दर्ज कर ईमानदार होने का ढोल पीट रही है। आपको बता दें कि पुलिस ने एक बार भी मीडिया के सामने शराब ठेकेदार का जिक्र तक नहीं किया। यहां तक कि पुलिस सवालों से अपने आपको बचाने में लगी रही। कहीं अवैध शराब सप्लायर ठेकेदार से पुलिस की यारी तो नहीं है .? सवाल तो बहुत सारे हैं, लेकिन जिम्मेदार सवालों से भागने लगे तो समझो दाल में कुछ तो काला है। या फिर पूरी दाल ही काली है।
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रवि कुमार गुप्ता : संपादक ( जन आवाज ) |