किस्सा - ए - मतदान उसी का शहर , वही मुंसिफ , वही कातिल

अश्वनी बडगैया अधिवक्ता

स्वतंत्र पत्रकार की कलम से

कटनी/ वि.गढ़। मध्यप्रदेश के कटनी जिले की विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र में ऐतिहासिक मतदान - ए - नौटंकी का समापन परिणाम सामने आते ही हो गया। परिणाम के मायने आप अपने हिसाब से निकाल सकते हैं। यदि नहीं भी निकाल पाते हैं तो कोई बात नहीं । भांड मीडिया मायने निकाल कर आपको बता ही देगा।

विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक संजय पाठक ने अपने चुनाव लड़ने ना लड़ने के लिए पूरे विधानसभा क्षेत्र में मतदान कराने की घोषणा करते हुए ऐसा कुछ कहा था कि अगर क्षेत्र के मतदाताओं में से कम से कम 51 फीसदी मतदाता चुनाव लड़ने के पक्ष में मतदान करेंगे तब ही चुनाव लड़ने के लिए पार्टी से टिकिट की मांग करुंगा अन्यथा नहीं।

बताया जाता है कि विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 02 अगस्त 2023 की स्थिति में कुल मतदाताओं की संख्या है 2 लाख 33 हजार अस्सी। मतदान किया 1 लाख 36 हजार 7 सौ 67 मतदाताओं ने । अर्थात मतदान करने वालों का प्रतिशत हुआ 44.19। मतलब 55.81 फीसदी लोगों ने मतदान में पार्टिशिपेट ही नहीं किया। कहा जा सकता है कि 55.81 फीसदी मतदाताओं ने सीधे तौर पर बिना वोट किए ही नकार दिया।

अब देखें मतदान किया है 1लाख 36हजार 7सौ 67 लोगों ने जिसमें से हां के पक्ष में वोट दिया है 1लाख 3हजार लोगों ने। जिसका प्रतिशत होता है 75.31। ना के लिए वोट किया है 30 हजार लोगों ने। 3 हजार 7 सौ 67 वोट रिजेक्ट भी हो गये।

अब आते हैं मतदान की प्रक्रिया पर। तो जिस तरह से मतदान कराने के छायाचित्र सोशल मीडिया में वायरल किये जा रहे थे अगर उन पर विश्वास किया जाय तो मतदान में कोई गोपनीयता नहीं बरती गई है । संजय के मतदान ऐजेंट मतदान करने वाले लोगों से हां के लिए वोट डालने के लिए कहते हुए दिखाई दे रहे थे। मतलब जिस तरह से वोटिंग करवाई जा रही थी उस हिसाब से हां के पक्ष में शत प्रतिशत वोट पड़ना चाहिए थे।

मगर ऐसा नहीं हुआ। 30 हजार लोगों ने ना के पक्ष में भी वोट किया तथा 3 हजार 7 सौ 67 वोट रिजेक्ट भी हुए। जिसका अर्थ है जाहिर तरीके से वोटिंग कराने पर भी 30 हजार मतदाता नहीं चाहता है कि संजय पाठक चुनाव लड़े। सवाल उठना स्वाभाविक है कि यदि शतप्रतिशत लोगों ने वोट डाले होते तो रिजल्ट   क्या होता?

अगर विरोध में मत डलवाना और कुछ मतों को रिजेक्ट करवाना यह दर्शाने के लिए कि मतदान को प्रभावित नहीं करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है तो यह संजय के लिए और भी ज्यादा घातक साबित हो सकता है। अभी तो जनता के बीच यही संदेश गया है कि जब लोगों के हाथ पकड़ कर हां के पक्ष में सही का निशान लगवाया जा रहा था तब भी 30 हजार लोगों ने ना के सामने सही का निशान बनाया है । अगर गोपनीय तरीके से मतदान कराया गया होता तो जो तस्वीर अभी दिख रही है पूरी तरह उल्टी हुई दिखाई देती। इस तरह की चर्चा पूरे क्षेत्र में सुनाई भी देने लगी है।

सवाल यह नहीं है कि संजय चुनाव लड़े या नहीं लड़े। इसके हां या ना में कितने वोट पड़े। सवाल यह है कि आखिर ऐसी कौन सी परिस्थिति उत्पन्न हो गई कि संजय पाठक को चुनाव लड़ू या नहीं लड़ू के लिए मतदान करवाना पड़ा।

जबकि पूरा प्रदेश इस बात को जानता और मानता है कि विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र में संजय के सामने भाजपा हाईकमान (भोपाल से लेकर दिल्ली तक) नतमस्तक है। विधानसभा क्षेत्र में संजय के सामने ईकाई के अंतिम अंक (9) तक कोई दावेदारी नहीं है। भाजपा के खांटी नेता और भगवान का दर्जा प्राप्त कर चुके देवतुल्य कार्यकर्ता जो भूले भटके टिकिट की दावेदारी कर सकते थे उन्हें पार्टी ने पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया कुछ पार्टी छोड़कर जा भी चुके हैं। श्रीमती पदमा शुक्ला और धुव्र प्रताप सिंह इसके प्रतीक हैं। भाजपा ने उन लोगों को भी संकेत और संदेश दे दिया है कि ऐसे किसी भी मूल भाजपाई के लिए पार्टी में कोई स्थान नहीं है जो संजय पाठक के लिए चुनौती बन सके।

फिर भी कहीं ऐसा तो नहीं है कि पार्टी की कद्दावर नेत्री श्रीमती पदमा शुक्ला के बाद पूर्व विधायक धुव्र प्रताप सिंह के पार्टी छोड़ने तथा मूल भाजपाई को उम्मीदवार बनाये जाने की दबी जुबान से ही सही उठ रही मांग ने भाजपा हाईकमान को अंदर ही अंदर हिलाकर रख दिया है और वह भी संजय पाठक की अर्थ पूर्ण हवा हवाई राजनीति के चलते। इस कारण से पार्टी हाईकमान संजय पाठक के पर कतरने का मन बना चुकी हो और जिसकी भनक संजय पाठक को लग चुकी हो जिससे वह अपने राजनीतिक वजूद को बनाये और बचाये रखने के लिए ही चुनाव लड़ू या ना लड़ू के नाम पर मतदान करवा रहा हो। ताकि भाजपा हाईकमान पर टिकिट दिये जाने का दबाव बना सके।

बहरहाल जो भी हो। फिलहाल तो कुल मतदाताओं में से 55 फीसदी से ज्यादा मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा नहीं लेकर सीधे तौर पर संजय चुनाव नहीं लडे वाली मानसिकता जाहिर कर दी है। रही बात मतदान में भाग लेने वालों की तो प्रायोजित तौर पर रणनीतिक परिणाम सामने आ ही चुका है। अब टिकिट की रस्साकशी पार्टी और संजय के बीच होनी है। रिजल्ट जानने के लिए तब तक इंतजार करिये।


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